Tuesday, December 13, 2011

कुछ तमन्नाये अधुरी सी रह जाए तो अच्छा है

कुछ तमन्नाये अधुरी सी रह जाए तो अच्छा है
कुछ मंजिले कभी मिल ना पाए तो अच्छा है

गर मिल गयी मंजिले यूँही
क्या जानो रास्ता क्या है
गर हो गयी सारी तमन्नाये पुरी
क्या जानो पाने की कसक क्या है

मजा मंजिल पाने में नहीं
पाने की कोशिश में है
मुश्किल डगर, कठीन सफ़र
हो तो अच्छा है...

कुछ तमन्नाये अधुरी सी रह जाए तो अच्छा है
कुछ मंजिले कभी मिल ना पाए तो अच्छा है