Tuesday, December 13, 2011

कुछ तमन्नाये अधुरी सी रह जाए तो अच्छा है

कुछ तमन्नाये अधुरी सी रह जाए तो अच्छा है
कुछ मंजिले कभी मिल ना पाए तो अच्छा है

गर मिल गयी मंजिले यूँही
क्या जानो रास्ता क्या है
गर हो गयी सारी तमन्नाये पुरी
क्या जानो पाने की कसक क्या है

मजा मंजिल पाने में नहीं
पाने की कोशिश में है
मुश्किल डगर, कठीन सफ़र
हो तो अच्छा है...

कुछ तमन्नाये अधुरी सी रह जाए तो अच्छा है
कुछ मंजिले कभी मिल ना पाए तो अच्छा है

Thursday, July 7, 2011

तुम बिन पीया

तुम बिन पीया कैसे काटू ये अँधेरी रतिया,
तुम से है उजाला तुमसेही रोशन मेरी दुनिया
तुमसंग नाचे मन मयूर,तुमसे सुर्ख लाल ये कलियाँ
तुमसंग छमछम रेगिस्तान, प्यारी बड़ी पी की गलियाँ
तुम्हारा जिक्र इत्र, प्यार भरी तुम्हारी अंखिया
तुम बिन पीया कैसे काटू ये अँधेरी रतिया,
तुम से है उजाला तुमसेही रोशन मेरी दुनिया...

Thursday, February 24, 2011

पिया प्यार भरी ये छुअन...

पिया प्यार भरी ये छुअन
मोरे अंग अंग थिरकन
बांधो बाहुपाश बंधन 
तुम्हे प्रीत मेरी अर्पण 

मुख लालिमा दमके कंचन
निखरा रूप रंग कहे दर्पण
हर्षित छेडित सुगन्धित सुमन
पुलकित रोमांचित उल्हासित मन

रंग तोरे रंगा ये कण कण
साथ प्यार भरा, सुखमय जीवन
किलकारियों से गूंजा घर आँगन
कभी ख़त्म न हो ये सपन

पिया प्यार भरी ये छुअन
मोरे अंग अंग थिरकन
बांधो बाहुपाश बंधन 
तुम्हे प्रीत मेरी अर्पण 

Sunday, February 13, 2011

अशी मी असा तू,

अशी मी असा तू,

भिन्न असून एक असू,

आपल्या आवडी वेगळ्या असल्या तरी,
 
तुझी राणी मी, माझ्या राजा तू,

अशी मी असा तू,

भिन्न असून एक असू,

मी चंचल खलखल सरिता

शांत शीतल सागर तू,

जशी ग्रीष्मा नंतर वर्षा रुतु

अशी मी असा तू,

भिन्न असून एक असू,

Wednesday, January 26, 2011

My poems - श्रेष्ठ रक्ताची नाती


पटले मला आता, खरच,श्रेष्ठ रक्ताची नाती
धपाटे खावून दोन, मग खायची आईच्या हातची चपाती

प्रेरणा देणारे बाबा, खेळ खेळतात संगाथी
दादा माझा लाडका, चुका माझ्या घेतो आपल्या माथी

स्वादिष्ठ लाडू करून, छान छान गोष्ठी सांगते आजी
प्रभात फेरीला जाताना गपचूप पेढे आणतात नानाजी

My poems - क्या हुं मै कही किसी के विचारों में


हाँ मैं शायद नहीं थी उन कतारों में
आप की महफील जहा सजी थी प्यारो में

रात मुझे हसीं सपने दिखा गयी
वैसे सुबह भरी हुवी थी तकरारो में

कहो तो जान दे दू साबित करने प्यार अपना
पर फिर तुम क्या पाओगे मुझे मजारों में

आँख में आंसू, हंसी लबो पे
अभिनय सीख लिया है अनेक किरदारों में

क्या कभी कोई मुझको याद करे?
क्या हुं मै कही किसी के विचारों में

My poems - मेरे साए..


मेरे साए...

खिला खिला सा चांद गगन में
खुशबू की लहरें चमन में
ये सब मेरी  साथी है
साथ  हमेशा होती  है
मुझ संग ये बतीयाती है

वो प्यारीसी कली गुलाब की
दोस्ती सदा रहेगी किताब की
मित्र मेरी ये दिया बाती है
साथ  हमेशा होती  है
मुझ संग ये बतीयाती है

दो प्यारे बाल हठीले
 उनके शोर से घर आँगन खिले
कभी कभी कट्टी भी होती है
ये जोडी साथ हमेशा होती  है
मुझ संग ये बतीयाती है

संग साथी सारे
फिर क्यों दूर लगे किनारे
किसकी कमी है महफील में
कैसे पहुंचू मंझिल मैं?
गुमसुम चुप चुप मेरे साए
मुझसंग क्यों न वो बतियाये?....

My poems - एकटेपणा..


एकटेपणा..


एकान्त हा आहे की आहे एकटेपणा..
शुक्ष्म आहेत की आहेत विशाल वेदना ..

कधी वाटे बसावे गप्प तर कधी करावी गर्जना
संकुचित वर्तुळ स्वार्थी की सेवे सर्वजना,
काय करावे सांग रे माझ्या मना,
एकान्त हा आहे की आहे एकटेपणा

क्षिताजावर सूर्यास्त आहे की चंद्र उगवताना
मनोमनी पूजा माझी की देवळात कीर्तना
वेळ ही कातर, नको का शांतता अंगणा..
एकान्त हा आहे की आहे एकटेपणा

संपूर्णता असून का अजून आहेत झंखना,
तृप्त जीवा का प्रगतीपर गती प्रतीदिना
गोंधळात शांत मन, जग मुक्त जीवना
नको असू रिकामा, नको असू एकटा..भयंकर एकटेपणा