सुख की तलाश में,
आनंद की आस में,
निकले हम घर से बाहर,
फूल-बगिया के पास में!
एक सुखद एहसास में,
तृप्ति भोजन के ग्रास में,
बच्चे की किलकारी
और हरि के रास में !!
था जो कुछ भी, पास में,
मंज़िल की राह में,
ढूँढा उसे जब मन के भीतर,
पाया पूर्णता की मिठास में!!!