Thursday, December 26, 2024

पूर्णता की मिठास

सुख की तलाश  में,
आनंद की आस में,
निकले  हम  घर  से बाहर,
फूल-बगिया के  पास  में!

एक सुखद एहसास में,
तृप्ति भोजन के ग्रास में,
बच्चे  की  किलकारी 
और हरि के  रास  में !!

था जो कुछ भी, पास  में,
मंज़िल की  राह  में,
ढूँढा उसे जब  मन  के  भीतर,
पाया पूर्णता  की  मिठास में!!!

Friday, August 23, 2024

हम बेवजह रूठते वो हमें मनाता

 काश के कोई हमे भी मनाता 

हम बेवजह रूठते वो  हमें मनाता ||


न हर वक़्त मनमानी, अपनी ही करता,

कभी मेरे मन की बातें, समझ ही वो पाता ||

बेरुखी ही जख्म है,दवाई नहीं,

दो बातें सुनता, सुनाता, समझता || 

हम बेवजह रूठते वो  हमें मनाता ||


सारी दुनिया के  जुल्म सहेंगे हम अगर,

वो है दुनिया हमारी, ये  महसूस करता,

उदासी मिटाने का कोई यन्त्र नहीं है,

दे वक्त जरा सा,खुशियों की हमें  सैर कराता ||

हम बेवजह रूठते वो  हमें मनाता ||


ये डरावने काले साये ग़मो के,

रौशनी हो, ले हाथो में हाथ, ये जान पाता 

सुकून और आनंद की ख्वाइश सभी को,

प्रयत्न जरा सा, कोशिश जरा सी, काश कोई ये जान पाता ||

हम बेवजह रूठते वो  हमें मनाता ||

Thursday, March 21, 2024

अनदेखा ख्वाब अधूरा सा ...

 अनदेखा ख्वाब अधूरा सा ...


लगता है के ख्वाब अब भी, अनदेखा है,
सच में अगर हम मिल जाये, तो अच्छा है!!

फूलों के शहर, खुशबू के नगर जा बसे हो तुम,
दूर डगर, लम्बा सफर, कट जाये तो अच्छा है !!
माना के अब तेरे हाथ मजबूत है,
फिरभी हाथों में मेरे, तेरा हाथ हो तो अच्छा है !!

लोगो की इस भीड़ में, सुनो सदा मेरी,
आभासी दुनिया से निकल, वास्तविक मिल सको तो अच्छा है !!

सरहदे करे जुदा हमें , कसक माँ के मन की,
मेरी कश्ती भी पार्थ तक पहुँच जाए, तो अच्छा है ।।

प्रीती कोलेकर
March 22, 2024