अनदेखा ख्वाब अधूरा सा ...
लगता है के ख्वाब अब भी, अनदेखा है,
सच में अगर हम मिल जाये, तो अच्छा है!!
फूलों के शहर, खुशबू के नगर जा बसे हो तुम,
दूर डगर, लम्बा सफर, कट जाये तो अच्छा है !!
माना के अब तेरे हाथ मजबूत है,
फिरभी हाथों में मेरे, तेरा हाथ हो तो अच्छा है !!
लोगो की इस भीड़ में, सुनो सदा मेरी,
आभासी दुनिया से निकल, वास्तविक मिल सको तो अच्छा है !!
सरहदे करे जुदा हमें , कसक माँ के मन की,
मेरी कश्ती भी पार्थ तक पहुँच जाए, तो अच्छा है ।।
प्रीती कोलेकर
March 22, 2024
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